Wednesday, January 5, 2011

मिशन आई एक क्रांति है

मिशन आई का मिशन है ये, सबको उसका अधिकार मिले
आज नहीं तो कल सबको, उसका सपना साकार मिले.
                                     मिशन आई एक क्रांति हैं!
मेहनत की, मजदूरी की
उम्र भी लगभग पूरी की
न पेट भरा जिसका अबतक
सांसों से थके इस बूढ़े को
नई पीढ़ी का उपहार मिले-
हँसता-गाता परिवार मिले
मिशन आई..........अधिकार मिले.
                                    मिशन आई एक क्रांति है!
बचपन भी ना देखा था कि
लद गए कई बच्चों के भार
पति गया परदेस कमाने
जान सकी ना उसका प्यार
ऐसी अधूरी नारी को, उसका पूरा श्रृंगार मिले
खेती-बाड़ी घर-बार, पति के संग हर त्यौहार मिले.
                                    मिशन आई एक क्रांति है!
बिलखे ममता यहाँ-वहां
भोजन बिन उतरे दूध कहाँ?
आँचल के करे कितने टुकड़े
मासूम ढके या अपना तन?
हां, ऐसी अध्ब्याही मां को
अन्न-जल से भरा भण्डार मिले
उसको उसका संसार मिले
मिशन आई...........अधिकार मिले.
                                    मिशन आई एक क्रांति है!
नौकरी की तलाश में जो
ऑफिस-ऑफिस फिरते हैं
रोज ही जो सौ सीढ़ी चढ़ते
और सौ रोज उतरते हैं
हताश ऐसे लोगों को-
कहीं नहीं दुत्कार मिले
भले नौकरी मिले ना मिले
मगर भला व्यवहार मिले
मिशन आई................अधिकार मिले.
                                   मिशन आई एक क्रांति है!
कुत्ता सोता कार में जिनके
नौकर सोता सीढ़ी पर
हुक्का पीनेवाला माली
अब जीता एक बीड़ी पर
ऐसे घूसखोरों के सर पर
अब जूतों की मार मिले
जिनके पास है काबलियत बस
उन्हें नौकरी और कार मिले.
मिशन आई.............अधिकार मिले.
                                 मिशन आई एक क्रांति है!
गीतकार राकेश निराला ने यह गीत मिशन आई के लिए लिखा है)